सारी दुनिया में ऊँची,
मेरी शान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई।।
मैं था निर्बल बड़ा,
बेसहरा बड़ा,
मुश्किलों से अकेला,
लड़ा था बड़ा,
सारी दुनिया ही मुझ पर,
मेहरबान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई।।
मुझको भक्ति में इनकी,
आनंद आ गया,
मेरी बेरंग दुनिया में,
रंग छा गया,
सारी दुनिया की खुशियाँ,
मेरे नाम हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई।।
ज्यादा कहता मगर,
कह नहीं पा रहा,
चुप रहता मगर,
रह नहीं पा रहा,
‘मित्तल’ की जान,
इन पर कुर्बान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई।।
सारी दुनिया में ऊँची,
मेरी शान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई,
जबसे खाटू वाले श्याम से,
पहचान हो गई।।
स्वर – कन्हैया मित्तल जी।