सारे जग से निराली है मैया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
तर्ज – मैं तो लाई हूँ दाने अनार के।
मैया ममतामई ये है करुणामई,
यशगान करे है पुरवैया
पार करती है भक्तों की नैया,
सारें जग से निराली है मईया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
नौ रूप धरे सबके संकट हरे,
नवरात्रों में सजती नगरीया,
पार करती है भक्तों की नैया,
सारें जग से निराली है मईया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
शारदे माँ तू ही कालिका माँ तू ही,
हर रूप में बनकर खिवैया,
पार करती है भक्तों की नैया,
सारें जग से निराली है मईया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
जो भी ध्यावे इसे जो मनावे इसे,
थाम लेती है उसकी ये बइयाँ,
पार करती है भक्तों की नैया,
सारें जग से निराली है मईया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
‘राजा’ गाये यही गुनगुनाये यही,
अपने आँचल की देकर के छइयां,
पार करती है भक्तों की नैया,
सारें जग से निराली है मईया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
सारे जग से निराली है मैया,
पार करती है भक्तों की नैया।।
Singer – Amit Chandak
बहुत अच्छा