रुणिचो है मथुरा काशी रे,
रुणिचो हैं मथुरा काशी,
नवखंडा रो नाथ विराजे,
द्वारका रो वासी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
दुखी हुआ अजमाल जी जद,
याद किया भारी बापजी,
याद किया भारी,
मन मे राख भरोसो रे भारी,
जद मिल जावे अविनाशी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
उंडे नीर जद नाथ सु मिल्या,
बात करी साची रे भगत जी,
बात करी साची,
जग मे मारो नाम बाझियो,
खाय मरु ला फांसी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
भादुडा़ री बीज चानणी,
चन्दो यु परकाशि भगत रे,
चन्दो यु परकाशि
बालकियो बन आवसु,
पगल्या मडं जाशी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
बाल रूप ने निरखण आया,
देव होया राजी भगत रे,
देव होया राजी,
तवंर वश में होयो उजालौ,
देव हुआ राजी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
लिख्यो भजन रे होय मगन रे,
हर दम हरसासि रे भगत जी,
हर दम हरसासि,
बाने रे गाव रो दास गोपालो,
रुणिचे जासी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
रुणिचो है मथुरा काशी रे,
रुणिचो हैं मथुरा काशी,
नवखंडा रो नाथ विराजे,
द्वारका रो वासी,
रुणिचो हैं मथुरा काशी।bd।
गायक – अनिल नागौरी।
प्रेषक – डुंगराराम पटीर।
8107080179