खोल दे दरवाजा तेरे,
धूणे धाम का,
रोट लावण आई,
बाबा तेरे नाम का।।
तर्ज – एक परदेसी मेरा।
बाहर खड़ी मै कदकी पुकारूं,
धीरज दिल म्ह कैसे धारूं,
कैसे धारूं,
मारै सै थपेड़े बाबा,
मौसम घाम का,
रोट लावन आई,
बाबा तेरे नाम का।।
जै कोए खता मेरे पै होरी,
कान पकड़कै बोलूं सोरी,
बोलूं सोरी,
बेटी नै सतावै बाबा,
क्यांतै खामखाँ,
रोट लावन आई,
बाबा तेरे नाम का।।
ओटया था तेरा रोट लगाणा,
पड़ेगा भोजन आकै खाणा,
आकै खाणा,
खट्टा मीठा ल्याई सूं,
अचार आम का,
रोट लावन आई,
बाबा तेरे नाम का।।
मेहर सिंह की शरण पड़कै,
गजेन्द्र स्वामी टीले पै चढ़ कै,
टील्ले पै चढ़ कै,
भरकै नै पीग्या प्याला,
अमृत जाम का,
रोट लावन आई,
बाबा तेरे नाम का।।
खोल दे दरवाजा तेरे,
धूणे धाम का,
रोट लावण आई,
बाबा तेरे नाम का।।
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लकी शर्मा।