राम नाम जप मन टेम चली जावे भाईडा म्हारा

राम नाम जप मन,

दोहा – काया ना आसी लार लोभिड़ा,
माया ना आसी लार,
लारे आवे वानें पकड़ो,
होसी भव जल पार।



राम नाम जप मन,

टेम चली जावे भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



मुल महल में बैठी कुम्हारण,

आसन लगा है रुपाला,
बैठी-बैठी वा घड़ती रेवे,
चाक चले कुछ न्यारा,
भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



बिना गुरु के जीव यो भटके,

काम करे अधुरा,
गेलो नहीं पावे वणी रे काम को,
सामने घोर अंधेरा,
भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



चान्द सूरज ने नैना निहारे,

बात समझ नहीं पावे,
समझने वाला है कोई ओरी,
सायर बड़ा है भारी,
भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



पांचों रे मिलने करी ओ थरपना,

दस और बिगाडुं,
बीच में कोई चौकीदारां,
बात बणी वो राखे,
भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



सतगुरु शब्दां ने पुग ना पावे,

‘रतन’ बड़ो अज्ञानी,
अरज करुं मैं किशना जी शरणे,
कृपा करने तारो,
भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।



रामनाम जप मन,

टेम चली जावे भाईडा म्हारा,
गयोड़ा दिन नहीं आवे।।

गायक – पंडित रतनलाल प्रजापति।
निर्देशक – किशनलाल जी प्रजापत।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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