राम मिलण रो घणो रे उमावो भजन लिरिक्स

राम मिलण रो घणो रे उमावो,

दोहा – सावन आवन कह गयो,
कर गयो कोल अनेक,
गिणता गिणता घिस गई,
म्हारे आंगलिया री रेख।



राम मिलण रो घणो रे उमावो,

नित उठ जोऊ बाटड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।



दरश बिना मोहे कछु ना सुहावे,

जक न पड़त है आंखड़िया,
तड़पत तड़पत बहु दिन बीते,
पड़ी बिरह की फासड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।



नैण दु:खी दरसण को तरसे,

नाभी न बैठे सांसड़िया,
रात दिवस हिय आरत मेरो,
कब हरि राखे पासड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।



दरश बिना मोहे कछु ना सुहावे,

जक न पड़त है रातड़ियां,
अब तो बेग दया करो प्यारा,
मैं हूँ थारी दासड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।



लगी लगन छुटण की नाहीं,

अब क्यूँ कीजे आटड़िया,
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे,
पूरो मन की आसड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।



राम मिलण रो घणो रे उमावों,

नित उठ जोऊ बाटड़िया,
राम मिलन रो घणो रे उमावो।।

स्वर – संत श्री अमृतराम जी महाराज।
Upload by – Keshav


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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