कई पंखा ढुला रियो छाया में रामजी ने भूल गयो माया में

कई पंखा ढुला रियो छाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में।।



कलंग कामणी को रस थु भोग्यो,

विषय वासना में आन्दो होग्यो,
जु सांड जरूखे भाया गाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में,
कई पंखा ढुला रयो छाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में।।



कुटुंब कबीला में गाड़ो फसयो,

देख देख मन में बहू हसयो,
रह गयो रे छोरा छोरिया की सगाईया में,
रामजी ने भूल गयो माया में,
कई पंखा ढुला रयो छाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में।।



ऊंचा ऊंचा भवन बनाया,

खून चूस गरीबों का खाया,
जासी रे नरक की खायां में,
रामजी ने भूल गयो माया में,
कई पंखा ढुला रयो छाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में।।



चेतन भारती यू चेतावे,

ऐसा अवसर फिर कब आवे,
हरि भजन करो रे इस काया में,
रामजी ने भूल गयो माया में,
कई पंखा ढुला रयो छाया में,
रामजी ने भूल गयो माया में।।



कई पंखा ढुला रियो छाया में,

रामजी ने भूल गयो माया में।।

गायक – पुरण भारती जी महाराज।
Upload By – Aditya Jatav
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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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