राम भजले रे जरा,
ये बीते जिंदगानी,
राम नाम सांचा है,
भजले नाम प्राणी।।
वादा प्रभु से,
करके जो आया,
जग में आकर,
तू बिसराया,
प्रभु की अमानत,
पड़ेंगी लौटानी,
राम भजलें रे जरा,
ये बीते जिंदगानी।।
ऐसा मौका,
फिर न मिलेगा,
आज है कल,
ये भी न रहेगा,
राम नाम की,
फेरो माला,
यम से पड़ेगा,
फिर न पाला,
यम की मार,
पड़ेंगी न खानी,
राम भजलें रे जरा,
ये बीते जिंदगानी।।
कलियुग केवल,
नाम अधारा,
सुमरि सुमरि नर,
उतरहिं पारा,
वैद शास्त्रों की ‘शिव’,
अमर है यह वाणी,
राम भजलें रे जरा,
ये बीते जिंदगानी।।
नाम प्रभु का,
जो न भजेंगे,
तो भव से हम,
कैसे तरेंगे,
मुश्किल से,
मानुष तन पाया,
लेकिन फिर भी,
नाम न ध्याया,
राम भजलें रे जरा,
ये बीते जिंदगानी।।
राम भजले रे जरा,
ये बीते जिंदगानी,
राम नाम सांचा है,
भजले नाम प्राणी।।
गायक – अनूप मिश्रा।
लेखक / प्रेषक – शिवनारायण वर्मा।