राम आ गए,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए।।
तर्ज – लो आ गयी उनकी याद।
आँखों में प्रेम आंसू,
चरणों को धो रही है,
मारे ख़ुशी के शबरी,
व्याकुल सी हो रही है,
क्या लाऊँ क्या खिलाऊँ,
कुछ भी समझ ना आए,
राम आ गये,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए।।
वन से जो तोड़कर वो,
दोना में बेर लायी,
सकुचा के मन में शबरी,
श्री राम को बढ़ाई,
श्री राम को दिया जब,
तो भी लखन ना खाए,
राम आ गये,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए।।
राम आ गए,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए।।
गायक – धीरज कान्त जी।