प्रभु पार्श्व तेरा दरबार,
मेरे मन को लुभाता है,
तेरी छवि देखकर दादा,
मुझे चैन आता है,
क्या खूब सजा सरकार,
तेरी लेऊँ नजर उतार।।
तेरे मुखड़े पे है नूर,
बरसे नेनो से अमीरस धार,
जिसे देख चाँद शरमाये,
ऐसा सजा मेरा दातार,
तेरी आंगिया में हीरा लाल,
शीश मुकुट तिलक है भाल,
लट धुंघराली गोरे गाल,
तेरे गल मोतियन की माल,
क्या खूब सजा सरकार,
तेरी लेऊँ नजर उतार।।
तेरे दिव्य स्वरूप का दादा,
मैं कैसे करू बखान,
जब जब भी देखे तुझको,
तेरा रूप भुलाये भान,
मेरे तुमसे जुड़े ये तार,
तुझे दिल मे लेऊँ उतार,
तेरा सूरज ओ दिलबर,
तुझे हरपल रहा निहार,
क्या खूब सजा सरकार,
तेरी लेऊँ नजर उतार।।
प्रभु पार्श्व तेरा दरबार,
मेरे मन को लुभाता है,
तेरी छवि देखकर दादा,
मुझे चैन आता है,
क्या खूब सजा सरकार,
तेरी लेऊँ नजर उतार।।
गायक – सूरज राठौर सुमेरपुर (राज.)।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365