पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो,
जिनके कुछ और अधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवाले हो।।
तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर।
प्रतिपाल करौ सिगरे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो,
भूलें हैं हम तुम ही को तो,
हमरी सुध नहीं बिसराये हो,
पितु मातु सहायक स्वामी सखां,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।।
उपकारन को कुछ अंत नहीं,
छिन ही छिन जो बिस्तारे हो,
महाराज महामहिमा तुमरी,
मुझसे बिरले बुधवारे हो,
पितु मातु सहायक स्वामी सखां,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।।
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे,
मन मंदिर के उजियारे हो,
इस जीवन के तुम प्यारे हो,
इन प्राणन के तुम प्यारे हो,
पितु मातु सहायक स्वामी सखां,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।।
तुम सो प्रभु पाइके ‘शुभम् कुमार’,
अब केहि के और सहारे हो,
पितु मातु सहायक स्वामी सखां,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।।
पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो,
जिनके कुछ और अधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवाले हो।।
सरस कथावाचक – शुभम् शास्त्री।
8081654490