पवनपुत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
दोहा – वीर बाला बजरंगबली,
इनके बल का कमाल,
दुष्टों का संहार,
केसरी नंदन है करते,
अपने भक्तो की लाज है रखते,
जो भी आए दर पे,
बाबा सबकी झोली भरते।
पवनपुत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले,
राम प्रभु के सारे कारज,
हनुमान तुमने ही है संभाले,
पवनपुंत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
बाल समय में रवि मुख में दबाया,
तीनो ही लोक में अँधेरा था छाया,
तीनो ही लोक में अँधेरा था छाया,
देवता सारे मिलकर के आए,
करके विनती रवि को छुडाए,
हे महावीर तुम हो बल वाले,
पवनपुंत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
जब लक्ष्मण के शक्ति लगी थी,
लंका से वेद को लाने की जची थी,
लंका से वेद को लाने की जची थी,
वेद शुशेण को लेकर के आए,
लाकर के बूटी लखन को जियाये,
राम की आँखों के हो तुम तारे,
पवनपुंत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
जब अहिरावण ने छल किया था,
राम लखन को बंदी बना लिया था,
राम लखन को बंदी बना लिया था,
पाताल लोक पहुंचे थे जाकर,
उन्होंने छुड़ाया दिव्य रूप बनाकर,
दुष्ट अहिरावण तुम ही थे मारे,
पवनपुंत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
पवनपुत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले,
राम प्रभु के सारे कारज,
हनुमान तुमने ही है संभाले,
पवनपुंत्र बाला है बजरंगी,
राम भक्त तुम हो मतवाले।।
स्वर – राजेश जी लोहिया।