पार्श्व प्रभु रो मुखड़ो दिखा दे,
भैरूजी रो मुखड़ो दिखादे,
पार्श्व प्रभु रो मुखड़ो दिखा दे,
भैरूजी रो मुखड़ो दिखादे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दर्श करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
ऊँचा पर्वत ठंडी हवाओ,
नाकोड़ा जी ध्वज लहरावे रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
मोर बोले मीठी बोली,
झीणी रेता चरणा चूमे रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
सोनेरी किरणों रो सवेरो,
हरे जीवन रो अंधेरो रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
घणा दिनों थी दर्शन कोनी,
तरसे यो मारो हिवड़ो रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
दादा बिना मारो मनडो नी लागे,
झटपट म्हाने बुलादे रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
नाकोड़ा दरबार विनवे,
भगता री आस पूरा दे रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
‘संगी’ करे मनवार थोरी,
मारा नैना री तरस बुझादे रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
पार्श्व प्रभु रो मुखड़ो दिखा दे,
भैरूजी रो मुखड़ो दिखादे,
पार्श्व प्रभु रो मुखड़ो दिखा दे,
भैरूजी रो मुखड़ो दिखादे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दर्श करा दे रे,
पुजारी नाकोड़ा वाले रे,
पट्ट खोल तू दरश करा दे रे।।
गायिका – माधुरी वैष्णव।
गीतकारा – संगीता बागरेचा (संगी)
9594480817