हो.. आया रे..
पर्व आया पर्युषण,
के जैनियों का पर्व सुहाना,
महिमा बड़ी है महान,
के पर्व है ये सदियों पुराना।
ये है पर्वा धिराज,
पर्वो का सिरताज,
जैनियों की शान,
जिसपे सबको है नाज
सब.. के.. दिल… में उमंग,
पलके बिछाकर के,
सजाये देखो घर और अंगना,
महिमा बड़ी है महान,
के जैनियों का पर्व सुहाना।।
तर्ज – ओ माहि रे।
मंदिर ये सज गये जिनवर के,
उपाश्रय में पड़े चरण गुरुवर के,
आठ दिनों के ये, पल है सुहाने,
भक्ति की मस्ती में, सब है दीवाने,
क्षमादान का ये पर्व,
जिसपे हमको है गर्व,
“दिलबर” दिल से मनाना,
पर्युषण महापर्व,
बीत ना जाये ये पल,
‘प्राची’ गाये दिल से भजन,
की भक्तो को भक्ति में झूमना।
महिमा बड़ी है महान,
के पर्व है ये सदियों पुराना।
हो.. आया रे..
पर्व आया पर्युषण,
के जैनियों का पर्व सुहाना,
महिमा बड़ी है महान,
के पर्व है ये सदियों पुराना।
ये है पर्वा धिराज,
पर्वो का सिरताज,
जैनियों की शान,
जिसपे सबको है नाज
सब.. के.. दिल… में उमंग,
पलके बिछाकर के,
सजाये देखो घर और अंगना,
महिमा बड़ी है महान,
के जैनियों का पर्व सुहाना।।
गायिका – श्री प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन मो.9907023365