परिवार का बोझा जो कंधो पर ढोता है भजन लिरिक्स

परिवार का बोझा जो,
कंधो पर ढोता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।



परिवार की खातिर वो,

जब घर से निकलता है,
पैरो के तले अपने,
अरमान कुचलता है,
अरमान कुचलता है,
हालात से जो अक्सर,
करता समझौता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।



गंभीर दिखाई दे,

बेटे की पढ़ाई पे,
पत्थर भी मोम होता,
बेटी की बिदाई पे,
बेटी की बिदाई पे,
सीने से लगा बेटी,
वो फुट के रोता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।



दुनिया में पिता से ही,

पहचान मिली हमको,
सूरज सी चमकती जो,
वो शान मिली हमको,
सम्मान की माला में,
प्रतिभा को पिरोता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।



हर दुःख हर चिंता को,

हसकर के वो झेले,
बच्चो पे मुसीबत हो,
वो मौत से जा खेले,
मेहनत के पसीने से,
‘नरसी’ दुःख धोता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।



परिवार का बोझा जो,

कंधो पर ढोता है,
कोई और नहीं प्यारे,
वो बाप ही होता है।।

Singer & Writer – Naresh Narsi
Contact – (9416241061)


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

2 COMMENTS

  1. बहुत ही खूब लिखा : ” वो पिता है ” ~ जाने – माने लेखक आदरणीय श्री नरेश ” नरसी ” जी ने .. बहुत ही अच्छा वर्णन किया ” पिता ” की भूमिका का जो सराहनीय है ..भजन डायरी App की पूरी Team का दिल से शुक्रिया .. जो उनके द्वारा एक पिता के जज्बातों को सुनने और पढ़ने का मौका मिला .. आप सभी को दिल से नमन !

    • निःसंदेह इसका श्रेय, “नरसी” जी को जाता है, जिन्होंने इतनी सुन्दर रचना प्रस्तुत की। कमेंट के लिए धन्यवाद प्रदीप जी।

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