परम कृपा सुरूप है परम प्रभु श्री राम अमृतवाणी लिरिक्स

परम कृपा सुरूप है,

परम कृपा सुरूप है,
परम प्रभु श्री राम,
जन पावन परमात्मा,
परम पुरुष सुख धाम।।१।।

सुखदा है शुभा कृपा,
शक्ति शान्ति स्वरूप,
है ज्ञान आनन्द मयी,
राम कृपा अनूप।।२।।

परम पुण्य प्रतीक है,
परम ईश का नाम,
तारक मंत्र शक्ति घर,
बीजाक्षर है राम।।३।।

साधक साधन साधिए,
समझ सकल शुभ सार,
वाचक वाच्य एक है,
निश्चित धार विचार।।४।।

देखे – नमस्कार सप्तक।



मंत्रमय ही मानिए,

इष्ट देव भगवान,
देवालय है राम का,
राम शब्द गुण खान।।५।।

राम नाम आराधिए,
भीतर भर ये भाव,
देव दया अवतरण का,
धार चौगुना चाव।।६।।

मन्त्र धारणा यों कर,
विधि से ले कर नाम,
जपिए निश्चय अचल से,
शक्ति धाम श्री राम।।७।।

यथा वृक्ष भी बीज से,
जल रज ऋतु संयोग,
पा कर विकसे क्रम से,
त्यों मन्त्र से योग।।८।।



यथा शक्ति परमाणु में,

विद्युत् कोष समान,
है मन्त्र त्यों शक्तिमय,
ऐसा रखिए ध्यान।।९।।

ध्रुव धारणा धार यह,
राधिए मन्त्र निधान,
हरि कृपा अवतरण का,
पूर्ण रखिए ज्ञान।।१०।।

आता खिड़की द्वार से,
पवन तेज का पूर,
है कृपा त्यों आ रही,
करती दुर्गुण दूर।।११।।

बटन दबाने से यथा,
आती बिजली धार,
नाम जाप प्रभाव से,
त्यों कृपा अवतार।।१२।।



खोलते ही जल नल ज्यों,

बहता वारि बहाव,
जप से कृपा अवतरित हो,
तथा सजग कर भाव।।१३।।

राम शब्द को ध्याइये,
मन्त्र तारक मान,
स्वशक्ति सत्ता जग करे,
उपरि चक्र को यान।।१४।।

दशम द्वार से हो तभी,
राम कृपा अवतार,
ज्ञान शक्ति आनन्द सह,
साम शक्ति संचार।।१५।।

देव दया स्वशक्ति का,
सहस्र कमल में मिलाप,
हो सत्पुरुष संयोग से,
सर्व नष्ट हों पाप।।१६।।

Upload By – Nitesh Singhania


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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