पर घर प्रीत मत कीजे राजस्थानी भजन लिरिक्स

पर घर प्रीत मत कीजे,



छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,

पर घर प्रीत मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै।।



घर के मंदरिया में निपट अंधेरो,

पर घर दीवला मत जोजे,
घर को गुड़ कालो ही खा लीजे,
पर चोरी की खांड मत खाजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।



पराया खेत में बीज मत बोजे,

बीज अकारत जावे,
कुल में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।



भाइला री नार जमाण जाई लागे,

बेहनड़ के बतलाजे,
कहत कबीर सुनो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।



छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,

तू पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नारी रा रूप कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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