पांच नाग पकड़ कर लाया,
प्रकट खेल रचाया,
हेली जोगी जग में आया।।
सत री संगत महापुरुष की लाया,
खीलन मंत्र सिखाया,
एन सेन में साधी साधना,
नाग नजर मिलाया।।
परा का भेद पस्मती को जाने,
सोहंग चाप जपाया,
पर पसमती मदा बेकरी,
चार तार ओलकाया।।
नाम कमल में हुती नागिनी,
विनय आर जगाया,
पांच ने मार पच्चीस बस कीना,
एक करण लाया।।
मोहन के मुख मुरली बाजे,
अनहद राग सुनाया,
वह राग कोई शूरवीर सुने,
कायर भाग आ जाए।।
मन्ने मिलिया मच्छिंद्र जोगी,
भिन भीन कर समझाया,
मच्छिंद्र शरण गोरख बोले,
अजर अमर कर पाया।।
पांच नाग पकड़ कर लाया,
प्रकट खेल रचाया,
हेली जोगी जग में आया।।
गायक – जीवारामजी।
प्रेषक – लकी धनगर।
6376790752