पहाड़ों म्ह रहणे वाली री कलकत्ते की काली री

पहाड़ों म्ह रहणे वाली री,
कलकत्ते की काली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।

तर्ज – माँ बालाजी पै चालिए।



तेरे बेटे नै याद करी सै,

गेडा़ लावण आजा मांँ,
कौण से कर्म की सजा मिली,
मैंने न्यू तो आज बताजा माँ,
भाग जगाणे आली री,
पार तैराणे आली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।



तेरे हवाले ज्यान मेरी मांँ,

एक बै आण बचाले री,
हंँसणा खेलणा भूल गया मेरे,
आकै लाड लडाले री,
रोते नै हंँसाणे वाली री,
उजड़े नै बसाणे वाली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।



पित्र भि कती साथ छोड़ गे,

बेरा ना कित सोगे,
पल-पल साथ निभावण वाले,
सात अपणे नै खोगे,
धर्म बचाणे वाली री,
अधर्म नै मिटाणे वाली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।



कुड़लण आला गजेन्द्र चाहवै,

सब के दुख का नाश करो,
लक्की शर्मा तेरे बेटे की,
पूरी माता आश करो,
शीखर चढा़णे आली री,
ढूंढा ठाणे वाली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।



पहाड़ों म्ह रहणे वाली री,

कलकत्ते की काली री,
संकट दूर करो मेरा मांँ,
कालका कल्याणी री।।

गायक – लक्की शर्मा पिचोलिया।
9034283904
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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