ॐ जय जय गौमाता,
मैया जय जय गौमाता,
जो कोई तुमको ध्याता,
त्रिभुवन सुख पाता।।मैया जय।।
सुख समृद्धि प्रदायनी,
गौ की कृपा मिले,
जो करे गौ की सेवा,
पल में विपत्ति टले।।मैया जय।।
आयु ओज विकासिनी,
जन जन की माई,
शत्रु मित्र सुत जाने,
सब की सुख दाई।।मैया जय।।
सुर सौभाग्य विधायिनी,
अमृती दुग्ध दियो,
अखिल विश्व नर नारी,
शिव अभिषेक कियो।।मैया जय।।
ममतामयी मन भाविनी,
तुम ही जग माता,
जग की पालनहारी,
कामधेनु माता।।मैया जय।।
संकट रोग विनाशिनी,
सुर महिमा गायी,
गौ शाला की सेवा,
संतन मन भायी।।मैया जय।।
गौ माँ की रक्षा हित,
हरी अवतार लियो,
गौ पालक गौपाला,
शुभ सन्देश दियो।।मैया जय।।
श्री गौमात की आरती,
जो कोई सुत गावे,
‘पदम्’ कहत वे तरणी,
भव से तर जावे।।मैया जय।।
ॐ जय जय गौमाता,
मैया जय जय गौमाता,
जो कोई तुमको ध्याता,
त्रिभुवन सुख पाता।।मैया जय।।
लेखक एवं प्रेषक – डालचन्द कुषवाह “पदम्”
9993786852