ॐ जय साईं नाथ,
जय साईं नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा,
धरती पर रहकर प्रभू तुमने,
तन अम्बर तक विस्तारा,
ॐ जय साई नाथ,
जय साईं नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा।।
मेरु समान वृहद वक्षस्थल,
और भुजदंड दिशाएं,
उन्नत भाल विशाल सुलोचन,
पद बैकुंठ लजाए,
उन्नत भाल विशाल सुलोचन,
पद बैकुंठ लजाए,
प्रभु तुम हो जहाँ रहता है वहां,
उजियारा ही उजियारा,
ॐ जय साई नाथ,
जय साई नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा।।
हम तो तुमसे जोड़ के बैठे,
नाते दुनिया वाले,
रूप विराट दिखाकर तुमने,
मन अचरज में डाले,
रूप विराट दिखाकर तुमने,
मन अचरज में डाले,
साईं नाथ हमे फिर लौटा दो,
वही सहज रूप मनहारा,
ॐ जय साईं नाथ,
जय साई नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा।।
ईश्वरीय आलोक लिए प्रभू,
मानव रूप धरे हो,
चमत्कार ही चमत्कार से,
तुम सम्पूर्ण भरे हो,
चमत्कार ही चमत्कार से,
तुम सम्पूर्ण भरे हो,
सौभाग्य जुड़े तब दर्शन का,
सौभाग्य मिले सुखकारा,
ॐ जय साई नाथ,
जय साई नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा।।
ॐ जय साई नाथ,
जय साई नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा,
धरती पर रहकर प्रभू तुमने,
तन अम्बर तक विस्तारा,
ॐ जय साई नाथ,
जय साईं नाथ,
आदि ना अंत तुम्हारा,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा।।