नरसी की गाड़ी देखो हाँके रे सांवरिया,
चले नगर अंजार,
चले नानी के द्वार,
मेरे सांवरिया, सांवरिया,
नरसी की गाड़ी देखो हाके रे सांवरिया।।
तर्ज – कौन दिशा में लेके चला रे।
कितनी दूर और कितनी दूर है,
नानी बाई का सासरा,
अब तो पार करेगा वो ही,
जिसका मुझको आसरा,
नरसी जी यूँ बोल रहे है,
नरसी जी यूँ बोल रहे है,
सुन ले ओ गाड़ी वाले,
टेढ़ी मेढ़ी लागे मुझे नानी की डगरिया,
टेढ़ी मेढ़ी लागे मुझे नानी की डगरिया,
चले नगर अंजार,
चले नानी के द्वार,
मेरे सांवरिया, सांवरिया,
नरसी की गाड़ी देखो हाके रे सांवरिया।।
सांवरिया यूँ हसकर के बोले,
कैसी चिंता कैसी फिकर,
हर पल तेरे साथ कन्हैया,
पार करेगा तेरी डगर,
संभल के बैठो ओ नरसी जी,
संभल के बैठो ओ नरसी जी,
भक्ति का तो होगा असर,
आएगा आएगा लेने तेरी वो खबरिया,
आएगा आएगा लेने तेरी वो खबरिया,
चले नगर अंजार,
चले नानी के द्वार,
मेरे सांवरिया, सांवरिया,
नरसी की गाड़ी देखो हाके रे सांवरिया।।
कोचवान बनकर के गाड़ी,
सांवरिया ने पार करी,
देख सासरा नानी बाई का,
नरसी जी की आँख भरी,
‘श्याम’ कहे बोले नरसी जी,
‘श्याम’ कहे बोले नरसी जी,
कान्हा को दिल से लगा,
भूलूं ना एहसान तेरा सारी ये उमरिया,
भूलूं ना एहसान तेरा सारी ये उमरिया,
चले नगर अंजार,
चले नानी के द्वार,
मेरे सांवरिया, सांवरिया,
नरसी की गाड़ी देखो हाके रे सांवरिया।।
नरसी की गाड़ी देखो हाँके रे सांवरिया,
चले नगर अंजार,
चले नानी के द्वार,
मेरे सांवरिया, सांवरिया,
नरसी की गाड़ी देखो हाके रे सांवरिया।।
स्वर – कुमार सानु।
प्रेषक – गोपालदास जी शाश्त्री (जयपुर)