नर चेत गुमानी माया ना साथ चले,
माया ना साथ चले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
दस से सोला गए खेल में,
बीस गए तेरे मन के मैल में,
चालीस गए तेरे नारी के फेर में,
पचपन हाथ मले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
अब तो जाग पड़ा क्यों सोवे,
सोने से तेरा काम ना होवे,
हर मन की तू कब तक ढोवै,
टाले ना ही टले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
भजन करे तो हर सुख पावे,
धन दौलत तेरे काम ना आवे,
काया भी तेरे साथ ना जावे,
अग्नि बीच जले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
सुमिरन ध्यान लगा ले प्राणी,
होवें ना तेरी कुछ भी हानि,
कहत कबीर सुनो अज्ञानी,
कर ले कर्म तू भले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले,
माया ना साथ चले,
नर चेत गुमानी माया ना साथ चले।।
प्रेषक – जितेन्द्र B गहलोत,
धूम्बडिया, मो, 8892357345