मेरे ह्रदय का बाग खिला नाकोड़ा दरबार मिला

मेरे ह्रदय का बाग खिला,
नाकोड़ा दरबार मिला,
ओ दादा तेरा द्वार मिला,
ओ नाकोड़ा दरबार मिला।।

तर्ज – जमाई राजा राम मिला।



बीच पहाड़िया में दर तेरा सोहे,

तीर्थो में तीर्थ बड़ा मन को मोहे,
मालाणी की गोद में पला,
नाकोड़ा दरबार मिला।।



पार्श्व प्रभु के संग भेरुजी विराजे,

तारो के बीच जैसे चंदा है साजे,
करके दर्शन सुख चैन मिला,
नाकोड़ा दरबार मिला।।



देवी ओर देवता भी आने को तरसे,

भक्ति के रूप में अमृत बरसे,
कैसे भूलूँ में इसको भला,
नाकोड़ा दरबार मिला।।



भेरूजी की कृपा से आनंद छाया,

जागा है भाग्य में नाकोड़ा आया,
किशन ‘दिलबर’ ये चले सिलसिला,
नाकोड़ा दरबार मिला।।



मेरे ह्रदय का बाग खिला,

नाकोड़ा दरबार मिला,
ओ दादा तेरा द्वार मिला,
ओ नाकोड़ा दरबार मिला।।

गायक – किशन गोयल।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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