नगरी नगरी द्वारे द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया,
कृष्णा कृष्णा रट के मैं तो,
हो गई रे बावरिया,
नगरी नगरी द्वारें द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया।।
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
बेदर्दी मोहन ने हमको,
सौंपा ग़म की आग में,
बिरहा की चिंगारी भर दी,
दुखिया के संसार में,
पल-पल मनवा रोए छलके,
नैनों की गगरिया,
नगरी नगरी द्वारें द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया।।
आया थी अँखियों में लेकर,
सपने क्या-क्या प्यार के,
जाता हूँ दो आँसू लेकर,
आशाएं सब हार के,
दुनिया के मेले में लुट गई,
जीवन की गठरिया,
नगरी नगरी द्वारें द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया।।
दर्शन के दो भूखे नैना,
जीवन भर न सोएंगे,
बिछड़े मोहन तेरे कारण,
रातों को हम रोएंगे,
अब न जाने कृष्णा कैसे,
बीतेगी उमरिया,
नगरी नगरी द्वारें द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया।।
नगरी नगरी द्वारे द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया,
कृष्णा कृष्णा रट के मैं तो,
हो गई रे बावरिया,
नगरी नगरी द्वारें द्वारे,
ढूँढूँ रे सांवरिया।।
प्रेषक – Gaurav Sharma
7792815748
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