नाड़ी हूँ ना जाणे वैद,
मुरख अनाड़ी रे।
दोहा – कंचन में यही दोष,
वासना ना भरी नाथ,
कस्तूरी में यही दोष,
रंग हु ना डारियो है।
रामजी में यही दोष,
मृग की शिकार गए,
रावण में यही दोष,
सीता हर के लायो है।
इंद्र में यही दोष,
गौतम के घर गिवन कियो,
चन्द्र में यही दोष,
सुपारस में आयो है।
कुंता में यही दोष,
कुवारी के पुत्र भयो,
गांधारी में यही दोष,
कौरव कुल खपायो है।
नाड़ी हूँ ना जाणे वैद,
मुरख अनाड़ी रे।।
पाना जैड़ी पीली-पीली,
पिलंगा पोढावो जैड़ी,
नाड़ी वैद नही है तू तो,
मुरख अनाड़ी रे।।
नाड़ी ने टंटोले काई,
दरद कलेजा माही,
नदी वैद नही है तू तो,
मुरख अनाड़ी रे।।
गोल-गोल पावे माने,
खारी-खारी बूटी रे,
राम नाम मिठो लगे,
और बात झूठी रे।।
कानो में कुण्डलिया सोवे,
मोर मुकुट धारी रे,
मुरख जटाले बाबा,
मोपे भुरकी डारी रे।।
मीरा ने जीवाई चाहो,
श्याम तुम बेगा आवो,
रोग रो कतेयो मारे,
अजर बिहारी रे।।
तीन लोक तारे प्रभु,
मीरा दुःखयारी रे,
तारन प्रभु बेगा आवो,
अर्ज हमारी रे।।
नाड़ी हू ना जाणे वैद,
मुरख अनाड़ी रे।।
गायक – श्यामनिवास जी पिलोवनी।
9983121148