ना जग का त्याग करो और न घर के काम तजो

ना जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।

तर्ज – ना मुंह छुपा के जिओ।



न जाने पाए तेरी,

एक स्वाँस भी खाली,
यह वो दवा है कि,
जिसने भी इसे खाली,
असर ये पल मे करे,
इसका जरा यकीँ तो करो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।



भजन हरि का करो और,

लगाओ ध्यान मे मन,
प्रभू कृपा से तेरा,
सफल हो जाए जीवन,
हर एक स्वाँस पे अपनी,
निगाह जमा के रखो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।



न जाने कोन सा पल,

हो आखिरी अपना,
इसलिए हरपल मनवा,
नाम गुरू का जपना,
हर एक स्वाँस को अपनी,
तुम आखिरी समझो,
न जग का त्याग करो,
और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।



ना जग का त्याग करो,

और न घर के काम तजो,
सभी के साथ में,
सुमिरन प्रभू का करते रहो।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

वीडियो उपलब्ध नहीं।


 

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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