मुझे तुमने सतगुरु,
सब कुछ दिया है,
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
तू ही है मालिक,
मेरी जिन्दगी का,
सहारा है मुझको,
तेरी बंदगी का,
जो कुछ लिया है मैंने,
यही से लिया है,
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है।।
मिला है खजाना,
बदोलत तुम्हारी,
जीवन बगिया,
खिली है हमारी,
उसे क्या कमी जो,
तेरा हो गया है,
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है।।
हुकूमत तेरे का,
तलबगार हूँ मैं,
तेरी रहमतों का,
करजदार हूँ मैं,
दिया कुछ नहीं मैंने,
लिया ही लिया है,
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है।।
मुझे तुमने सतगुरु,
सब कुछ दिया है,
तेरा शुक्रिया है,
तेरा शुक्रिया है।।
Bahut sundar
Bhajan