मुझे अपने ही रंग में रंगले,
मेरे यार सांवरे,
मेरे यार सांवरे दिलदार सांवरे।।
ऐसा रंग तू रंग दे सांवरिया,
जो उतरे ना जनम जनम तक,
नाम तू अपना लिख दे कन्हैया,
मेरे सारे बदन पर,
मुझे अपना बना के देखो,
एक बार सांवरे।।
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया,
बिना रंगाये मैं घर नहीं जाउंगी,
बीत जाए चाहे सारी उमरिया,
हरी ना रंगाऊ मैं तो पिली ना रंगाऊंगी,
अपने ही रंग में रंग दे सांवरिया,
ऐसी रंग दे जो रंग नाही छूटे,
धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया,
जो नाही रंगो तो मोल ही मंगाए दो,
ब्रज में खुली है प्रेम बजरिया,
या चुनरी को ओड मैं तो यमुना पे जाउंगी,
श्याम की मोपे पड़ेगी नजरिया,
मेरे जीवन की नैया लेजा उस पास सांवरे,
मुझे अपना बना के देखो,
एक बार सांवरे।।
भव सागर में ऐ मनमोहन,
माझी बन कर आना,
ना भटकूँ इधर उधर हे प्यारे,
मुरली मधुर सुनाना,
मेरी जीवन लेजा उस पार सांवरे,
मुझे अपना बना के देखो,
एक बार सांवरे।।
प्रीत लगाना प्रीतम ऐसी,
निभ जाए मरते दम तक,
इसके सिवा ना तुझसे चाहा,
ना कुछ माँगा अब तक,
मेरे कान्हा तुम बिन जीना बेकार सांवरे,
मुझे अपना बना के देखो,
एक बार सांवरे।।
मुझे अपने ही रंग में रंगले,
मेरे यार सांवरे,
मेरे यार सांवरे दिलदार सांवरे।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी।
Sunder