म्हारी नैया को केवट बाबो श्याम,
खिवईयो बाबो श्याम,
भव पार उतरस्या पल भर में।।
एक आसरो श्याम को लीनो,
और ना कोई चाए,
भवसागर को श्याम खिवईयों,
खुद ही पार लगाए,
इब तो छोड्या हां इनपे दारमदार,
भव पार उतरस्या पल भर में,
म्हारी नईया को केवट बाबो श्याम,
खिवईयो बाबो श्याम,
भव पार उतरस्या पल भर में।।
चाहे आंधी तूफा आए,
म्हाने डर ना लागे,
कोई चिंता फ़िकर नहीं जब,
सांवरियो है सागे,
म्हे तो सोवा हां अब तो खूंटी ताण,
भव पार उतरस्या पल भर में,
म्हारी नईया को केवट बाबो श्याम,
खिवईयो बाबो श्याम,
भव पार उतरस्या पल भर में।।
छोड़ आसरो दुनिया को मैं,
श्याम शरण में आया,
दुनियादारी छोड़ श्याम को,
नाम म्हे जद से गाया,
म्हारा पूरण हुया रे सारा काम,
भव पार उतरस्या पल भर में,
म्हारी नईया को केवट बाबो श्याम,
खिवईयो बाबो श्याम,
भव पार उतरस्या पल भर में।।
म्हारी नैया को केवट बाबो श्याम,
खिवईयो बाबो श्याम,
भव पार उतरस्या पल भर में।।
स्वर – नवीन अग्रवाल जी।