म्हारा सांवरिया जी सेठ,
जाने कहाँ हो गयो लेट,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नी आयो रे।।
ओ कान्हा रे, कान्हा रे,
ओ कान्हा रे, कान्हा रे।
थारा ही भरोसे मैं तो,
आयो म्हारा नाथ जी,
कोड़ी कोणी पास म्हारे,
कैसे भरूं भांत जी,
जो तू भांत भरण नही आयो,
म्हारी हांसी नगर उड़ायो,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नी आयो रे।।
ओ कान्हा रे, कान्हा रे,
ओ कान्हा रे, कान्हा रे।
रोवे थारी नानी बाई,
और ना रुलाओ रे,
जल्दी आओ सेठ सांवरिया,
देर ना लगाओ रे,
राखो राखो लाज,
म्हारा त्रिलोकी रा नाथ,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नी आयो रे।।
ओ कान्हा रे, कान्हा रे,
ओ कान्हा रे, कान्हा रे।
नरसी की विनती सुण आयो,
त्रिलोकी रो नाथ जी,
भक्त वृन्द की तो राखी,
वा ने घणी लाज,
नरसी नैना नीर बहायो,
नरसी देख देख हर्षायो,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नी आयो रे।।
ओ कान्हा रे, कान्हा रे,
ओ कान्हा रे, कान्हा रे।
म्हारा सांवरिया जी सेठ,
जाने कहाँ हो गयो लेट,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नी आयो रे।।
ओ कान्हा रे, कान्हा रे,
ओ कान्हा रे, कान्हा रे।
प्रेषक – अविनाश मौर्य।