म्हारा खाटू वाला श्याम,
म्हाने प्यारा घणा लागो,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
मने फुटरा थे लागो,
थाके हाथा माही मोरछड़ी,
और तन केसरिया बागो,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
रंग बिरंगा फुला सु,
थाको दरबार सजायो,
रजनीगंधा केवड़ा,
गुलाब को इत्र लगायो,
इतर की बरखा सु बाबा ओ हो,
आज थने नहला दूं,
मैं आज थने नहला दू,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
सिर पचरंगी पाग पहन के,
बैठ्यो म्हारो सांवरो,
जो भी देखे श्याम धनी ने,
हो जावे वो बावरो,
मोहनी मूरत सोहणी सूरत ओ हो,
हिवड़ा माही बसा ल्यू,
मैं हिवड़ा माही बसा ल्यू,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
भगत जणा न देख के बाबो,
मंद मंद मुस्कावे,
बाबा की मुस्कान देख के,
हाल बेहाल हो जावे,
म्हारे मनमे आवे की ओ हो ओ,
कालो टीको लगा दू,
कालो टीको लगा दू,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
घणी देर सु बैठ्या बाबा,
दरशन तो दिखलाओ जी,
लव-कुश बाबा शरण तुम्हारी,
म्हाने राह बताओ जी,
तन मन और यो सारो जीवन ओ हो,
थापे वार दू जीवन थापे वार दू,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
म्हारा खाटू वाला श्याम,
म्हाने प्यारा घणा लागो,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
मने फुटरा थे लागो,
थाके हाथा माही मोरछड़ी,
और तन केसरिया बागो,
थाकि नजर उतार दू,
लूणराई वार दू।।
गायन / लेखन – लव कुश।
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