मेरी सांस तू ही है,
अहसास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।।
तर्ज – तुमसे जुदा होकर।
अब काल भी मुझको,
डरा नही सकता,
जब साया बनकर के,
तू साथ मेरे चलता,
मुझे हरपल जो होता,
वो आभास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।।
मेरे भेरू दादा की,
हर बात निराली है,
आता जो इनके द्वार,
जाता नही खाली है,
मेरे सुख दुख में रहता,
मेरे पास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।।
किस्मत मेरी दादा,
तुमने ही सँवारी है,
रहे सर पे सदा तेरा हाथ,
ये अर्जी हमारी है,
ये शुभम की विनती,
तू कर लेना मंजूर,
मशहूर भी हो जाँऊ,
पर देना नही गुरुर,
‘दिलबर’ सदा दिल के,
एक पास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।।
मेरी सांस तू ही है,
अहसास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।।
गायक – शुभम भण्डारी बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365