मेरी प्रीत ना छूटेगी नंदलाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
कोई रोक के बताये,
कोई टोक के बताये,
अभी पाला नी पड़ा है ब्रजबाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
चाहे सासु से कहवाओँ,
चाहे सुसरा से कहवाओँ,
चाहे मार भी पिटाओ कोई बलमा से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
चाहे घर में रोकाओ,
चाहे ताला भी लगाओ,
क्या प्रेम भी रुका है कोई ताला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
चाहे हाथी से कुचाओ,
चाहे जाति से भगाओ,
चाहे जहर भी पिलाओ को प्याला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
चाहे आग में जलाओ,
चाहे आरे से कटाओ,
कोई शीश भी कटाए चाहे भाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
मेरी प्रीत ना छूटेगी नंदलाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से।।
स्वर – संत श्री कमलकिशोर जी नागर।