मेरी मैया तुम्हे अर्पण,
भला हम क्या करें,
तुम्हीं से है मेरी दुनिया भला,
दम क्या भरें,
मेरी मैया तुम्हें अर्पण,
भला हम क्या करें।।
तर्ज – ये दिल तुम बिन कहीं।
न्योछावर कर दूं ये दौलत,
मगर वो दी तुम्हारी है,
लुटा दूं जान अपनी भी,
मगर वो भी तुम्हारी है,
जमाने में जिधर देखूं,
उधर तू ही नज़र आए,
तुम्ही बतलाओ ऐ दाती,
कि अब हम क्या करें,
तुम्हीं से है मेरी दुनिया भला,
दम क्या भरें,
मेरी मैया तुम्हें अर्पण,
भला हम क्या करें।।
चढ़ाऊं फूल तुमको तो,
ये गुलशन भी तुम्हारा है,
खिलाऊं मैवा मिश्री तो,
सकल जग ही तुम्हारा है,
जमीं आकाश शसितारे,
सभी में वास तुम्हारा है,
समझ कुछ भी नहीं आता,
कि अब क्या करें,
तुम्हीं से है मेरी दुनिया भला,
दम क्या भरें,
मेरी मैया तुम्हें अर्पण,
भला हम क्या करें।।
करूं मैं सेवा चरणों की,
यही उम्मीद लाया हूं,
बुझा दो प्यास नैनों की,
तेरे दरबार आया हूं,
भरो झोली मेरी भी माँ,
यही फरियाद लाया हूं,
‘विजय शिव’ की क्षमा करदो खता,
और क्या कहें,
तुम्हीं से है मेरी दुनिया भला,
दम क्या भरें,
मेरी मैया तुम्हें अर्पण,
भला हम क्या करें।।
मेरी मैया तुम्हे अर्पण,
भला हम क्या करें,
तुम्हीं से है मेरी दुनिया भला,
दम क्या भरें,
मेरी मैया तुम्हें अर्पण,
भला हम क्या करें।।
लेखक / प्रेषक – शिवनारायणजी वर्मा।
8818932923
गायक – विजय जी सोनी।