मेरी लगी साईं संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने।।
राह अँधेरी रोशन कर दी,
ज्ञान प्रकाश से झोली भरदी,
अब दुःख चिंता न क्लेश,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी साई संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने।।
जब से साईं की शरण में आया
तुम क्या जानो क्या मेने पाया
मेरे बन गए बिगड़े काम,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी साई संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने।।
साईं ने मेरी बिगड़ी बन दी
मुझ भटके को राह दिखा दी
लिया दुःख में जीना सिख,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी साईं संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने।।
मेरी लगी साईं संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने।।