मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी है,
दुनिया ने बड़ा सताया हूँ,
तेरे दर पर हार के आया हूँ,
कुछ भी नहीं पास है अर्पण को,
दो आंसू चढ़ाने आया हूँ,
मेरी आंखों में ही पढ़ ले श्याम,
क्या मुख से कहना जरूरी है,
यूं ही तो आंसू आए नहीं,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी हैं।।
मैंने सुना है खाटू में बाबा,
दुखियों के कष्ट मिटाता है,
उसकी सबसे पहले सुनता,
जो पहली बार ही आता है,
मैं भी यही सुन कर आया श्याम,
फिर मुझसे कैसी दूरी है,
यूं ही तो आंसू आए नहीं,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी हैं।।
तुझे क्या बतलाऊं सांवरिया,
मेरी लाज पर बने आई है,
जो भी तेरे दर आया है,
तूने सब की लाज बचाई है,
फिर मेरी अर्जी को अब तक,
क्यों ना मिली मंजूरी है,
यूं ही तो आंसू आए नहीं,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी हैं।।
अगर तुम ना सुनोगे बाबा तो,
ये दुनिया बातें बनाएगी,
तेरे नाम के ताने दे दे कर,
ये मुझको बड़ा सताएगी,
और कितना रोए ‘बहादुर’ की,
और कितनी परीक्षा अधूरी है,
यूं ही तो आंसू आए नहीं,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी हैं।।
दुनिया ने बड़ा सताया हूँ,
तेरे दर पर हार के आया हूँ,
कुछ भी नहीं पास है अर्पण को,
दो आंसू चढ़ाने आया हूँ,
मेरी आंखों में ही पढ़ ले श्याम,
क्या मुख से कहना जरूरी है,
यूं ही तो आंसू आए नहीं,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी है,
मेरी कुछ तो श्याम मजबूरी हैं।।
Singer – Bahadur Saini
Upload By – Keshav
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