मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
तर्ज – ऐ मेरे दिल-ऐ-नादान।
धन दौलत क्या माँगू,
मुस्कान ये दी तुमने,
हम जैसे बच्चो को,
पहचान है दी तुमने,
किस्मत को बनाते हो,
किस्मत से क्या माँगू,
मेरी दुनिया तुम ही हों,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
कोई मुझसे अगर पूछे,
जन्नत कैसी होगी,
दावे से कह दूंगा,
मांडोली जैसी होगी,
जीते जी स्वर्ग मिला,
तो मर कर क्या माँगू,
मेरी दुनिया तुम ही हों,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
भक्ति की बदौलत ही,
दुनिया का प्यार मिला,
मुझे ये परिवार मिला,
ऐसा संसार मिला,
तेरी भक्ति करता रहूं,
कर जोड़ यही माँगू,
मेरी दुनिया तुम ही हों,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
दुनिया से मैं हारा हूँ,
तेरे दर पे आया हूँ,
होती सुनवाई है,
दुःख जैसा भी,
हो अपना ले,
बालक मैं तुम्हारा हूँ,
मेरी दुनिया तुम ही हों,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले जब मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
पापो की गगरी ले,
फिरता था आवारा,
नही मिलती थी मंजिल,
नही मिलता किनारा,
इस भक्त दीवाने ने,
तुझे दिल से पुकारा है,
कैसा भी हूँ अपना ले,
बालक मैं तुम्हारा हूँ,
मेरी दुनिया तुम ही हों,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले जब मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या माँगू,
जब बिन बोले मिलता,
तो बोल के क्या माँगू।।
Bhajan Submitted By : Sonam Namdev
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