मेरी चौखट पे चलके आज,
बाबोसा भगवान आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है,
पुण्य मेरे प्रबल है जो,
आप कुटिया में पधारे है,
हाल मेरा सुदामा सा,
आप श्री कृष्ण हमारे है,
बहुत खुश हूं की भक्तो का,
बढ़ाने मान आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है।।
आपके आने से बाबोसा,
रोम रोम मेरा हर्षित है,
तुमको समर्पित है ये जीवन,
तन मन धन ये अर्पित है,
कई जन्मों से तरस रहे थे,
आज जागे भाग्य हमारे,
बड़ी लंम्बी इंतजारी,
हुई रहमत जो तुम्हारी,
आई है सवारी,
संदेशे आज खुशियों के,
हमारे नाम आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है।।
तुमको पाकर और क्या मांगु,
मैं तुमसे ओ मेरे ‘दिलबर’,
जीते जी मुझे स्वर्ग मिला है,
क्या करूँ अब स्वर्ग में जाकर,
एक यही फरियाद है मेरी,
अपने चरणों मे मुझको बिठाले,
बड़ी लंम्बी इंतजारी,
हुई रहमत जो तुम्हारी,
आई है सवारी,
संदेशे आज खुशियों के,
हमारे नाम आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है।।
मेरी चौखट पे चलके आज,
बाबोसा भगवान आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है,
पुण्य मेरे प्रबल है जो,
आप कुटिया में पधारे है,
हाल मेरा सुदामा सा,
आप श्री कृष्ण हमारे है,
बहुत खुश हूं की भक्तो का,
बढ़ाने मान आये है,
सजाओ घर को आँगन को,
स्वयं हनुमान आये है।।
गायक – सूरज मेहता मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365