मेरे सिर पर सिंगा जबरा सिंगाजी भजन

मेरे सिर पर सिंगा जबरा,
आरे वो सदा करत रहु मुजरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



अंतःकरण की तुम ही जाणो,

आरे गुरू तुम कारण मे उबरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



जहाँज वान ने तुमको सुमरा,

आरे वो डुबी जहाँज लई उबरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



झाबूआ देश भादरसिंग राजा,

आरे गुरू उसने तुमको सुमरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



राज पाठ कुल छत्तर धरिया,

फैलावन दिया हो कुमरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



देव श्री की मोटी महीमा,

आरे जहाँ मेला जुड़ीरा गेहरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



कुवार महिना पुरण मासी,

आरे वहा मेला भरीयाँ गेहरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



कहे जण दल्लू सुणो भाई साधू,

आरे वो गुरू चरण मे रहुगाँ
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।



मेरे सिर पर सिंगा जबरा,

आरे वो सदा करत रहु मुजरा,
मेरे सर पर सिंगा जबरा।।

प्रेषक – घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज।
7879338198


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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