मेरे निताई चाँद दीन जनों के प्यारे लिरिक्स

मेरे निताई चाँद,
दीन जनों के प्यारे,
दीन जनों के,
पतित जनों के,
अधम जनों के प्यारे,
पतित जनों के,
हम अधमो के,
दासों के रखवारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



श्री बलराम अनंग मंजरी,

एक होय अवतारे,
मानो गौर हरी की करूणा,
देह अनुपम धारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



नील वसन तन झल मल झलकत,

कानन कुंडल धारे,
जो जो दृष्टि पड़े निताई,
सो पागल भए सारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



हरी नाम की भिक्षा मांगत,

जा पतितन के द्वारे,
मार खाए के प्रेम लुटावत,
दोनो भुजा पसारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



क्षण क्षण क्रंदन क्षण क्षण गर्जन,

गौर ही गौर पुकारे,
अश्रु कंप पुलक तन ही तन,
लेत प्रबल हुंकारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



जो जो दृष्टि पड़े निताई,

सो पागल भए सारे,
गौर प्रेम की मदिरा पी कर,
रहत सदा मतवारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



एसो दयालु और ना दुजौ,

जैसे निताई हमारे,
श्री ‘गौरदास’ प्रभु जुग जुग जिवै,
बार बार बलिहारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।



मेरे निताई चाँद,

दीन जनों के प्यारे,
दीन जनों के,
पतित जनों के,
अधम जनों के प्यारे,
पतित जनों के,
हम अधमो के,
दासों के रखवारे,
मेरे निताई चांद,
दीन जनों के प्यारे।।

स्वर – श्री गौरदास जी महाराज।
प्रेषक – विकास किशोरी दास।
9996546969


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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