मेरे बांके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा,
डंका बाज रहा,
जगत में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
बांके बिहारी को प्यारो वृन्दावन,
सब भक्तन को है जीवन धन,
बांके बिहारी को प्यारो वृन्दावन,
सब भक्तन को है जीवन धन,
यहाँ लूट रहा प्रेम अपार,
की जग में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
बांके बिहारी की छटा है न्यारी,
दीवानी याकी दुनिया सारी,
बांके बिहारी की छटा है न्यारी,
दीवानी याकी दुनिया सारी,
चरनन में झुके सरकार,
की जग में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
बांके बिहारी रंगीलो ठाकुर,
रंगीलो ठाकुर रसीलो ठाकुर,
बांके बिहारी रंगीलो ठाकुर,
रंगीलो ठाकुर रसीलो ठाकुर,
यहाँ बह रही रस की धार,
की जग में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
बांके बिहारी का पागल जमाना,
‘चित्र विचित्र’ का सुनके तराना,
बांके बिहारी का पागल जमाना,
‘चित्र विचित्र’ का सुनके तराना,
करे भक्त सभी जय जयकार,
की जग में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
मेरे बांके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा,
डंका बाज रहा,
जगत में डंका बाज रहा,
मेरे बाँके बिहारी सरकार को जग में,
डंका बाज रहा।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – आनंद ब्रजवासी (श्री धाम)।