मेरे बांके बिहारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो,
मुझको ना तड़पाओ,
दर्शन दो दर्शन दो।।
मेरे मन के द्वार खुले,
तेरे मंदिर में आकर,
मेरी किस्मत खुल गई है,
वृन्दावन को पाकर,
मेरे गिरवरधारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो,
मेरें बाँके बिहारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो।।
मैं जन्मों की प्यासी,
तेरे द्वारे आई हूँ,
मेरे पास नहीं कुछ भी,
बस प्रेम ही लाई हूँ,
मेरे प्रेम को अपना लो,
दर्शन दो दर्शन दो,
मेरें बाँके बिहारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो।।
मैं बिरहा की मारी,
सुनो मेरे गिरधारी,
तूने सब को तारा है,
अब आई मेरी बारी,
मेरे भाग को अपना लो,
दर्शन दो दर्शन दो,
मेरें बाँके बिहारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो।।
मेरे बांके बिहारी जी,
दर्शन दो दर्शन दो,
मुझको ना तड़पाओ,
दर्शन दो दर्शन दो।।
स्वर – गौरव कृष्ण जी शास्त्री।