सागर सागर पार से सिया का,
समाचार लाने वाले,
हनुमान जी तुम,
राम जी के काम आने वाले,
मैंने बोला है प्रसाद तेरे नाम से,
मेरा मिलन करा दो श्री राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से।।
हे सिया राम के प्यारे,
इक जोगन तुम्हे पुकारे,
विश्वास हैं मेरा प्रियतम,
मिल जाए तुम्हारे द्वारे,
संकट मोचन संकट हर दो,
मंगल के दिल मंगल कर दो,
खाली हाथ ना लौटूँगा मैं,
तेरे धाम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से।।
वो माने या ना माने,
मैंने मान लिया उसे अपना,
वही मेरा जीवन साथी,
वही मेरे प्राण का सपना,
बिछड़े मीत मिलाने वाले,
सबका काज बनाने वाले,
बड़ी आस लेके आया हूँ,
मैं राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से।।
मंगल मूरत मारुती नंदन,
सकल मूल निकंदन,
दुनियाँ के नायक रघुनायक,
दशरथ कौशल्या के नंदन,
चारों जग प्रताप तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा,
गुरु बृजमोहन,
देवेंद्र भी लग जाए काम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से।।
सागर सागर पार से सिया का,
समाचार लाने वाले,
हनुमान जी तुम,
राम जी के काम आने वाले,
मैंने बोला है प्रसाद तेरे नाम से,
मेरा मिलन करा दो श्री राम से,
मेरा मिलन करा दों श्री राम से।।
स्वर – देवेंद्र पाठक जी महाराज।
प्रेषक – अंतर राणा।
9868572816