मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटु वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।।
तर्ज – बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा।
जीना क्या श्याम बिन,एक पल है कठिन,
जीना क्या श्याम बिन,एक पल है कठिन,
याद बाबा को करते है हम रात दिन,
मुझे डर है किसका मैं जाऊँ जहां,
जहाँ पे भी मैं हूँ साँवरिया वहां,
उसी के दम से है मुस्कान है मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटु वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।।
थी मुश्किल बड़ी, ये मेरी ज़िंदगी,
थी मुश्किल बड़ी, ये मेरी ज़िंदगी,
श्याम जबसे मिला तो मिली हर खुशी,
कई फूल खुशियो के मन में खिले,
अगर एक माँगा तो लाखों मिले,
हुई ज़िंदगी अब तो आसान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटु वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।।
जाके जब भी कहा, मैंने दरबार में,
जाके जब भी कहा, मैंने दरबार में,
आई खुशियां कई मेरे परिवार में,
हमेशा ही ‘विष्णु’ की सुनता है श्याम,
वो खाटू का राजा ‘सुशिल’ है गुलाम,
मेरा खाटू वाला तो है जान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटु वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।।
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटु वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।।
गायक – विष्णु मेहरा।