मेनू अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेनू चरणी लगाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेहरबानियाँ तेरी मेहरबानियाँ,
मेहरबानियाँ तेरी मेहरबानियाँ,
मेनु अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ।।
प्याला प्रेम वाला,
जदो दा पिलाया ऐ,
इना आँखा विच,
तू ही ओ समाया है,
रंग अपना चढ़ाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेनु अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ।।
झूठे जग तो किनारा,
असि कित्ता ऐ,
जदो मिल गया,
सच्चा मन मीता ऐ,
मेनू जग तो छुड़ाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेनु अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ।।
मन ले ‘चित्रविचित्र’,
दा केहना ऐ,
बण के पागल तेरे,
चरणा विच रहना है,
मेनू वृन्दावन बसाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेनु अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ।।
मेनू अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेनू चरणी लगाया,
तेरी मेहरबानियाँ,
मेहरबानियाँ तेरी मेहरबानियाँ,
मेहरबानियाँ तेरी मेहरबानियाँ,
मेनु अपना बनाया,
तेरी मेहरबानियाँ।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।