मेहंदीपुर जाऊँगा, बिगड़ी बनाऊँगा।
(तर्ज – अब ना छुपाऊँगा )
मेहंदीपुर जाऊँगा, बिगड़ी बनाऊँगा।
चरणोँ मेँ बाला के, सर अपना झुकाऊँगा॥
पाऊँगा बालाजी का प्यार, करूं तन मन अर्पण॥
तेरी महिमा बड़ी भारी है जगत मेँ तेरा उजाला है।
हे लाल लंगोटे वाले सबका तू प्रतिपाला है।
कलयुग का देव निराला, पल मेँ वर देने वाला,
हो खाली ना जाऊँगा, खुशियोँ से अपना मैँ
दामन भर ले जाऊँगा,
करना न बाबा इन्कार, करूँ तन मन अर्पण॥१॥
पाऊँगा बालाजी का …
सालासर मेँ बजरंगी ने, डेरा अपना लगाया है।
दिखाकर शक्ति अपनी यह, सारे जग मेँ छाया है।
भेजते हैँ बुलावा भक्तोँ को, दर पे अपने बुलाते हैं,
हो भटके को राह दिखाते, मन का अंधेरा मिटाते,
सोया भाग्य देते जगा
करते हैँ बेड़ा पार, करूँ तन मन अर्पण॥२॥
पाऊँगा बालाजी का …
पैदल पैदल बाबा मैँ, धाम तेरे आऊँगा।
लड्डू पेड़ा खीर चूरमा भोग लगाऊँगा।
सोने के छत्र चढ़ाऊँ, माथे सिन्दूर तिलक लगाऊँ,
जैकार तेरी बुलाऊँगा
‘खेदड़’ की नैया करना पार, करूँ तन मन अर्पण॥३॥
पाऊँगा बालाजी का …
मेहंदीपुर जाऊँगा, बिगड़ी बनाऊँगा।
चरणोँ मेँ बाला के, सर अपना झुकाऊँगा॥
पाऊँगा बालाजी का प्यार, करूं तन मन अर्पण॥