मतलब की भरी ईस दुनिया म्ह,
किस तरीयाँ हो गूजारा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
तर्ज – घाटे के म्ह आग्या हो बाबा।
जिसपै करुं भरोसा ईसा,
कोई नजर ना आवै,
झूठ बकणीया दगा करणीया,
कदम कदम पै पावै,
भीड़ पडी़ म्ह मूँह नै फेरले,
हो चाहे कितना प्यारा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
यारी करैं स्वार्थ की,
धोखे तै बात बतलाते हैं,
धोरै बैठ कै रोटी खावैं,
पीठ म छूरा चलाते हैं,
आँख खोलकै देखले बाबा,
दूनीया का ढंग सारा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
जख्माँ पै नमक लगावण की,
आज रीत बणी दूनीया की,
ज्यान तै मारो माल लूटल्यो या,
नीत बणी दूनीया की,
माँ जाये की गर्दन पै क्यों,
भाई चलावै आरा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
गुरू सतबीर नै तेरा भरोसा,
मन का भ्रम मिटादे,
सीधा सादा गजेन्द्र सै बाबा,
जीणा इनै सीखादे,
लक्की शर्मा तेरे बेटे नै,
तेरा एक सहारा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
मतलब की भरी ईस दुनिया म्ह,
किस तरीयाँ हो गूजारा,
मनै बतादे गोरख बाबा मै,
इसे फिकर नै मारया।।
गायक – लक्की शर्मा।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी।
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