दरसण चालो रे भाईडा,
दरसण चालो रे,
माता भादवा दरसण देवे,
थाने दरसण चालो रे।।
सुन्दर थारो मंदिर बनियो,
सोभा लागे प्यारी,
दूर दूर सु दरशन करवा आवे,
नर और नारी,
वो माँ रे लाल ध्वजा लहराये,
माँ रे दरसण चालो रे।।
लखवा री बीमारी मेटे,
लूला पावा चाले,
जगमग ज्योता जागे थारे,
भीड़ पड़े हे थारे,
हे मारा परचा पाया ना पार,
माँ रे दरसण चालो रे।।
ढोल नंगाड़ा नोपत बाजे,
जालर री जनकारा,
आरतिया री वेला आवे,
कर कर जय जय कारा,
हे भाया लेवे सरणा मात,
माँ रे दरसण चालो रे।।
धरम भगत थारी महिमा गावे,
चरना शीश नमावे,
जो कोई सरणा आवे थारी,
मन चाहा फल पावे,
हे माता हेले आवे आज,
माँ रे दरसण चालो रे।।
दरसण चालो रे भाईडा,
दरसण चालो रे,
माता भादवा दरसण देवे,
थाने दरसण चालो रे।।
गायक और लेखक – धर्मेंद्र तंवर।
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