मत ढूंढ सहारो काऊ को,
चिंता तज माला झोली की।।
वृषभानु नंदनी सहज सुलभ,
जय जय राधे रस भोरी की,
मत ढूंढ सहारों काऊ को,
चिंता तज माला झोली की।।
करुणामयी दीन पुकार सुने,
रक्षक है जीवन डोरी की,
मत ढूंढ सहारों काऊ को,
चिंता तज माला झोली की।।
खुद बाह पकड़ के श्याम चले,
जिनपे हो कृपा किशोरी की,
मत ढूंढ सहारों काऊ को,
चिंता तज माला झोली की।।
मत ढूंढ सहारो काऊ को,
चिंता तज माला झोली की।।
गायक – राजीव शास्त्री जी।